मित्रों नमस्कार *social media द्वारा मधुमेह जागरूकता अभियान के तहत विभिन्न लेखों द्वारा समझाता आया हूँ कि किस प्रकार आधुनिक चिकित्सा का घातक दवाओं के आधार पर शुगर को पहचाने का इतिहास मात्र 110 वर्ष पुराना है जबकि महर्षि चरक ने 2 हज़ार पूर्व ही मधुमेह(शुगर)को 20 प्रकार के प्रमेह में से वातज प्रमेह के अंतर्गत परिणित कर इसे असाध्य(न ठीक होने वाला)कहा था
ज्ञात हो कि प्रमेह के लक्षण मधुमेह जैसे होते हैं पर सही मायने में यह शुगर नही होता।हो भी यही रहा है कि केवल मशीनी रीडिंग के आधार पर एलॉपैथी चिकित्सक बहुत बार प्रमेह को भी मधुमेह मानकर घातक दवाओं द्वारा नाकाम चिकित्सा करता है (उसे वैसे प्रमेह और मधुमेह का अंतर पता भी नहीँ होत)जिसका अंत इन्सुलिन के इंजेक्शन लगाते हुए किडनी फेल व बहुत सारे अन्य रोग के रूप में होता है
सतत पठन-पाठन न करने के कारण ग्रंथों का मूल भूलकर कुछ आयुष चिकित्सक तक आज एलॉपथी चिकित्सा को आसान मानकर लाल-सफ़ेद गोलियाँ व इंजेक्शन की तर्ज पर चल पड़े हैं और प्रमेह व मधुमेह(शुगर)रोगी में कोई फ़र्क़ नही कर पा रहे हैं।कुछ आयुष चिकित्सक शुगर प्रबंधन की सच्चाई को जानते हुए भी गलत व आसान ढँग से धनार्जन के चक्कर में रोगी को यह नही बताना चाहते कि यह असाध्य(न ठीक होने वाला)रोग तो जरूर है 'पर' यदि उचित आहार-विहार व संयमित जीवन शैली के साथ शास्त्रोक्त रीति से बनी औषधियों को आयुष चिकित्सक की देख-रेख में अपनाया जाए तो इस 'असाध्य' रोग को अधिकतम स्तर तक नियंत्रित करके(इसे याप्य कहते हैं)शुगर के कारण जन्मे रोगों को बिल्कुल ठीक किया जा सकता है
तो यदि आप भी शुगर रोगी हैं और उप्रलिखित शास्त्र आधारित हमारे यें तर्क ठीक लग रहे हों तो अपनी समस्याओं के बारे में नीचे दिए गए whats app नं पर विस्तार से लिखें या वार्तालाप करें हो सकता है आप शुगर की गलत दवायें खा रहे हों और साथ में अन्य रोग इस कारण से पनप रहे हों।हमारी शास्त्र आधारित चिकित्सा द्वारा घातक अंग्रेजी दवायें,इंजेक्शन व डायलिसिस से बचकर आपके तन-मन में पनपा मधुमेह(शुगर)या प्रमेह रोग को अधिकतम स्तर तक नियंत्रित करके इस कारण से जन्मे नपुंसकता, शारीरिक या मानसिक कमजोरी, आँखों की नज़र, बार-बार गर्भपात होना, हृदय संबंधी रोगों को बिल्कुल ठीक किया जा सकता है।
कोई चूर्ण या घरेलू इलाज बता दो आदि मानसिकता रखने वाले रोगी कृप्या संपर्क न करें, ऐसे टोने-टोटके जो बसों में बिकने वाली किताबों में लिखे होते हैं या whats app आदि पर घूमते हैं बस केवल सुनने-पढ़ने में आकर्षित और सस्ते होते हैं,इसकी सच्चाई हम जितनी समझते हैं आप कभी नहीँ समझ पाएंगे,इसलिए ईश्वर से प्रार्थना करें कि वह आपको सही चिकित्सा की ओर अग्रसर करे